यूपी की राजधानी लखनऊ में लोकभवन के सामने आत्मदाह करने वाली मां-बेटी को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां पीड़ित महिला ने दम तोड़ दिया है. उसकी बेटी का इलाज अभी भी जारी है और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है. अमेठी की रहने वाली ये मां बेटी लखनऊ पहुंची थीं और लोकभवन के सामने खुद को आग लगा ली थी.
Lucknow: A woman who attempted self-immolation near Lok Bhawan on 17th July, has succumbed to her injures at the Civil Hospital.
— ANI UP (@ANINewsUP) July 22, 2020
जब तक आग बुझाई गई तब तक ये दोनों बुरी तरह झुलस चुकी थीं. इस मामले में काफी अमानवीयता भी देखने को मिली थी क्योंकि जब पीड़ित आत्मदाह कर रहे थे तब कुछ लोग मोबाइल से वीडियो बनाते रहे. पुलिसवालों ने दोनों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया था जहां इलाज जारी था.
इस मामले को लेकर 17 और 18 जुलाई को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी सरकार पर निशाना साधा था. बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी इस मामले को लेकर योगी सरकार की खिंचाई की थी.
लोकभवन के सामने 2 महिलाओं द्वारा आत्मदाह की घटना, सोती हुई सरकार को जगाने के लिए क्या काफ़ी नहीं है या फिर असंवेदनशील सरकार व मुख्यमंत्री जी किसी और बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं.
क्या उप्र में सरकार नाम की कोई चीज़ है !
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 18, 2020
पुलिस के आला अधिकारियों ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए थाना प्रभारी समेत 4 पुलिसवालों को निलंबित कर दिया था. आरोप है कि पीड़ितों को स्थानीय पुलिस की मदद नहीं मिल सकी थी जिसके बाद उन्होंने लखनऊ में आत्मदाह का कदम उठाया.
जमीन विवाद को लेकर अमेठी जिला निवासी माँ-बेटी द्वारा कल लखनऊ सीएम कार्यालय के सामने आत्मदाह करने का प्रयास दुःखद, किन्तु राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए अगर उन्हें ऐसा करने के लिए उकसाया गया है तो यह गंभीर आपराधिक मामला है, जिसकी सही जाँंच कराकर दोषी को सख्त सजा दी जानी चाहिए।
— Mayawati (@Mayawati) July 18, 2020
पुलिस ने कॉल डिटेल निकाली तो मामला काफी हद तक साफ हो गया. इस मामले में पुलिस ने दावा किया था कि AIMIM के नेता कदीर खान और कांग्रेस के नेता अनूप पटेल ने दोनों को आत्मदाह के लिए उकसाया था.
आरोप है कि अमेठी के जामो में रहने वाली इन महिलाओं का जमीन और पानी की निकासी को लेकर विवाद था. इन लोगों ने जब पुलिस की मदद लेनी चाही तो निराशा हाथ लगी. कुछ वक्त पहले इन दोनों पर हमले की बात भी कई मीडिया रिपोर्ट्स में कही गई है.
अगर पुलिस वक्त रहते कदम उठा लेती तो शायद ऐसी नौबत ना आती, शायद पीड़ितों को आत्मदाह ना करना पड़ता और शायद पीड़ित महिला की अस्पताल में मौत ना होती.
ऐसी खबरें अक्सर सुर्खियां बन जाती हैं और थोड़े दिन बाद मीडिया के साथ साथ समाज भी ऐसी खबरों को भूल जाता है. काश पुलिस और प्रशासन इस मामले में ऐसी कार्रवाई करे कि एक मिसाल बन सके. काश पुलिस वाकई मित्र पुलिस बन सके और कमजोर को इंसाफ मिल सके ताकि कभी कोई और पीड़ित लखनऊ पहुंच कर आत्मदाह की कोशिश ना करे.