कानपुर का कुख्यात विकास दुबे आखिरकार एनकाउंटर में मारा गया. पुलिस का कहना है कि विकास को मध्यप्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस उसे लेकर कानपुर के पास से गुजर रही थी तभी गाड़ी अचानक पलट गई. इस दौरान विकास ने पुलिसवाले की पिस्टल छीन ली और फरार होने का प्रयास किया. पुलिस ने उसे घेर लिया और सरेंडर करने को कहा. विकास ने पुलिस पर फायरिंग की जिसके जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की. इस जवाबी कार्रवाई में विकास को गोली लगी और जब तक उसे अस्पताल पहुंचाया गया तब तक वह दम तोड़ चुका था.
पुलिस के इस पूरे दावे पर तमाम सवाल उठ रहे हैं. मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में पुलिस की कार्रवाई पर ना केवल सवाल उठाए जा रहे हैं बल्कि इस एनकाउंटर की पूरी थ्योरी को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है. इस बीच इस पूरे मामले पर विपक्ष भी हमलावर होता दिखाई दे रहा है. सपा, बसपा और कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है और पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. पुलिस के आला अधिकारी सवालों के जवाब तो दे रहे हैं लेकिन फिर भी कुछ सवाल ऐसे हैं जिनसे वो बचते नजर आते हैं.
Kanpur: Latest visuals from the site of UP STF car convoy accident and encounter of #VikasDubey in Kanpur.
Large number of people, police and media personnel seen in the area. pic.twitter.com/46hPDZ55R0
— ANI UP (@ANINewsUP) July 10, 2020
बसपा सुप्रीमो मायावती ने दो ट्वीट किए और पुलिस एनकाउंटर पर सवाल उठाए. मायावती ने लिखा- कानपुर पुलिस हत्याकाण्ड की तथा साथ ही इसके मुख्य आरोपी दुर्दान्त विकास दुबे को मध्यप्रदेश से कानपुर लाते समय आज पुलिस की गाड़ी के पलटने व उसके भागने पर यूपी पुलिस द्वारा उसे मार गिराए जाने आदि के समस्त मामलों की माननीय सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए.
मायावती ने आगे लिखा- यह उच्च-स्तरीय जाँच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए 8 पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इन्साफ मिल सके. साथ ही, पुलिस व आपराधिक राजनीतिक तत्वों के गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके. ऐसे कदमों से ही यूपी अपराध-मुक्त हो सकता है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी विकास दुबे एनकाउंटर को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने ट्वीट किया- दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है. इससे पहले 9 जुलाई को भी उन्होंने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने लिखा था कि ख़बर आ रही है कि ‘कानपुर-काण्ड’ का मुख्य अपराधी पुलिस की हिरासत में है. अगर ये सच है तो सरकार साफ़ करे कि ये आत्मसमर्पण है या गिरफ़्तारी. साथ ही उसके मोबाइल की CDR सार्वजनिक करे जिससे सच्ची मिलीभगत का भंडाफोड़ हो सके.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी यूपी सरकार को निशाने पर लिया है और विकास दुबे के एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने ट्वीट किया- अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या?
इससे पहले भी उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किए थे. उन्होंने लिखा था कि कानपुर के जघन्य हत्याकांड में यूपी सरकार को जिस मुस्तैदी से काम करना चाहिए था, वह पूरी तरह फेल साबित हुई. अलर्ट के बावजूद आरोपी का उज्जैन तक पहुंचना, न सिर्फ सुरक्षा के दावों की पोल खोलता है बल्कि मिलीभगत की ओर इशारा करता है. तीन महीने पुराने पत्र पर ‘नो एक्शन’ और कुख्यात अपराधियों की सूची में ‘विकास’ का नाम न होना बताता है कि इस मामले के तार दूर तक जुड़े हैं. यूपी सरकार को मामले की CBI जांच करा सभी तथ्यों और प्रोटेक्शन के ताल्लुकातों को जगज़ाहिर करना चाहिए.
अब देखना होगा कि सरकार इस पूरे मुद्दे पर क्या कहेगी और पुलिस जांच से आखिर क्या निकलेगा. विकास दुबे भले ही मर चुका हो लेकिन इस एनकाउंटर का मुद्दा लंबे वक्त तक जिंदा रहने वाला है ये तो तय हो चुका है.